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Showing posts from September, 2021

कलंक नहीं प्रेम है काजल...

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गाने के ये चंद शब्द एक तरफ निश्छल प्रेम को बयां कर रहें हैं... तो दूसरी और प्रेम को लेकर समाज की संकीर्ण मानसिकता को दर्शाते हुए प्रेम का सही अर्थ और महत्त्व समझाने का प्रयास कर रहें है...समाज में प्रेम को उस दाग की तरह देखा जाता है जिसे लोग कलंक का नाम दे देते है...असल में प्रेम तो वो खूबसूरत एहसास है जो अपने आप में ही पूर्ण है...जो एक कलंक नहीं बल्कि वो काजल है जो उसे हर बुरी नजर से सुरक्षित रखता है...प्रेम वो है जो एक मां को अपने बच्चे से है, प्रेम वो है जो पिता को अपनी संतान से है, प्रेम वो है जो राधा को कृष्णा से है...बिना किसी शर्त के बिना किसी स्वार्थ के किसी उसके सुख - दुख को अपनाना, उसकी खुशी से खुश,उसके गम से दुख, अपने से ज्यादा उसको महत्त्व देना ही प्रेम है...और एक मां, पिता ,राधा - कृष्णा से अच्छा उदाहरण क्या हो सकता है... किसी की अच्छे की कामना करना,उसको देख कर खुश रहना मात्र लगाव है ...जो आज है तो शायद कल ना हो...एहसास तो बदलते रहते है...लेकिन नहीं बदलता तो प्रेम...जो अमिट और अमर हैं...

तस्वीरें बोलती हैं...

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  दिल जो हर किसी के पास है अपने दिल का ख़्याल जमाने को है  उस ज़माने का दिल कहीं ना कहीं थोड़ा या कम सही मतलबी है लेकिन इस दिल में कुछ ऐसा है जो शायद ज़माने में किसी इंसान के पास नहीं है ये दिल हर इंसान को जीने की ताकत देता है...खूबसूरती को परखने की चाह देता है...ये वो है जो बिना किसी स्वार्थ के जीने के लिए सांसे देता है...जिसके बिना अस्तित्व ही संभव नहीं और स्वार्थी मानव धड़कता दिल लिए भी दूसरे दिल की सांसे रोक देता है...वो इंसान जब उसे तबाह करने जा रहा होता है वो तब भी अपना फर्ज निभाता है...अपने आखिरी दम तक उसे ही प्राणवायु दे जाता है...दिल वाला होकर भी दूसरे दिल को धड़कने से मनुष्य रोकता है...बेजुबान रोते हुए कहता "मेरा स्वार्थ नहीं साथी... मैं अब भी तुम्हारा लिए सोच रहा हूं... हमें इसी तरह बर्बाद करके तुम अपने को ही नुकसान पहुंचा रहे हो...एक दिन मेरे जैसे सबको तुमने काट डाला...तो पृथ्वी ही खत्म हो जाएगी...और ये जो तबाही आज देख रहे हो कुदरत की सब तुम्हारी खिलवाड़ का ही परिणाम है" अंत समय में भी देकर शिक्षा वो आंखें मूंद जाता है...और पागल इंसा अपनी जीत का जश्न मनाता है... प...

अब दोबारा ना आना इस देश मेरी लाडो...

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कवि की कविता राजनेता की राजनीति  न्यूज चैनल का एक और मुद्दा,एक ब्रेकिंग खबर लेकिन,  किसी की न सिर्फ जिस्म की बल्कि रूह की भी हत्या... मानवता ने तो शर्मशार होना कबका छोड़ ही रखा है... देश में और एक निर्भया ने मुंबई में आज इस दुनिया से मुंह मोड़ लिया...एक दरिंदे की हवस से आज उसने आंखें मूंद ली... और समाज में बैठे आदमी रूपी भेड़िए आज भी खुले घूम रहे है...सिर्फ आज ही नहीं ये हर रोज घूमते है...देश में हर 16 मिनट में रेप होता है...ये तो सिर्फ वो है जिनका पता चल जाता है...लेकिन ना जाने कितनी ऐसी घटनाएं होती है जो दबकर रह जाती है...लेकिन हमारा समाज औरत पर तो उंगली उठा सकता है पर रेप पर एकत्रित नहीं हो सकता...और क्या ऐसा देश सच में आजाद है जहां महिला सुरक्षा बड़ा प्रश्नचिन्ह हैं...ये मंदिर में जाकर देवी को पूज सकते है...लेकिन औरत पर अत्याचार नहीं छोड़ सकते ...छोटे कपड़े पहनने पर सवाल उठा सकते है...तब जहन में एक ही सवाल आता है जब बच्चियों के साथ बुजुर्ग के साथ रेप होता है...तो क्या इसके लिए भी कपड़े ही जिम्मेदार होंगे...?किस कोने में महिला को डर नहीं है...अस्पताल में डॉक्टर,मंदिर में पु...