अब दोबारा ना आना इस देश मेरी लाडो...


कवि की कविता
राजनेता की राजनीति 
न्यूज चैनल का एक और मुद्दा,एक ब्रेकिंग खबर
लेकिन,

 किसी की न सिर्फ जिस्म की बल्कि रूह की भी हत्या...
मानवता ने तो शर्मशार होना कबका छोड़ ही रखा है...

देश में और एक निर्भया ने मुंबई में आज इस दुनिया से मुंह मोड़ लिया...एक दरिंदे की हवस से आज उसने आंखें मूंद ली...
और समाज में बैठे आदमी रूपी भेड़िए आज भी खुले घूम रहे है...सिर्फ आज ही नहीं ये हर रोज घूमते है...देश में हर 16 मिनट में रेप होता है...ये तो सिर्फ वो है जिनका पता चल जाता है...लेकिन ना जाने कितनी ऐसी घटनाएं होती है जो दबकर रह जाती है...लेकिन हमारा समाज औरत पर तो उंगली उठा सकता है पर रेप पर एकत्रित नहीं हो सकता...और क्या ऐसा देश सच में आजाद है जहां महिला सुरक्षा बड़ा प्रश्नचिन्ह हैं...ये मंदिर में जाकर देवी को पूज सकते है...लेकिन औरत पर अत्याचार नहीं छोड़ सकते ...छोटे कपड़े पहनने पर सवाल उठा सकते है...तब जहन में एक ही सवाल आता है जब बच्चियों के साथ बुजुर्ग के साथ रेप होता है...तो क्या इसके लिए भी कपड़े ही जिम्मेदार होंगे...?किस कोने में महिला को डर नहीं है...अस्पताल में डॉक्टर,मंदिर में पुजारी,गली में पड़ोसी,यहां तक कि घर में कोई अपना जाने कबसे ताक में बैठा हो...देश में किसी एक के बलात्कार को कुछ दिन तक मुद्दा तो जरूर बना दिया जाता है...न्यूज चैनल को कुछ दिन हेडलाइन मिल जाती है,कवि,ब्लॉगर,शायर को किसी दूसरी महिला पर कोई मुद्दा...और राजनेता को राजनीति के लिए एक और मौका मिल जाता है...और उस महिला को जिसकी रूह तक तड़प रही है सिर्फ दर्द,उसके परिवार को आंसू...कुछ दिन बाद सबके लिए मुद्दा खत्म...लेकिन उस महिला को इंसाफ,उसके परिवार के आंसू...क्या सिर्फ दरिंदे की सजा से खत्म हो जाते है..?उसके बाद क्या रेप होने बंद हो जाते है???और होने लगता है एक और नया बलात्कार...

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