तस्वीरें बोलती हैं...

 

दिल जो हर किसी के पास है

अपने दिल का ख़्याल जमाने को है 

उस ज़माने का दिल कहीं ना कहीं थोड़ा या कम सही मतलबी है

लेकिन इस दिल में कुछ ऐसा है जो शायद ज़माने में किसी इंसान के पास नहीं है ये दिल हर इंसान को जीने की ताकत देता है...खूबसूरती को परखने की चाह देता है...ये वो है जो बिना किसी स्वार्थ के जीने के लिए सांसे देता है...जिसके बिना अस्तित्व ही संभव नहीं और स्वार्थी मानव धड़कता दिल लिए भी दूसरे दिल की सांसे रोक देता है...वो इंसान जब उसे तबाह करने जा रहा होता है वो तब भी अपना फर्ज निभाता है...अपने आखिरी दम तक उसे ही प्राणवायु दे जाता है...दिल वाला होकर भी दूसरे दिल को धड़कने से मनुष्य रोकता है...बेजुबान रोते हुए कहता "मेरा स्वार्थ नहीं साथी... मैं अब भी तुम्हारा लिए सोच रहा हूं... हमें इसी तरह बर्बाद करके तुम अपने को ही नुकसान पहुंचा रहे हो...एक दिन मेरे जैसे सबको तुमने काट डाला...तो पृथ्वी ही खत्म हो जाएगी...और ये जो तबाही आज देख रहे हो कुदरत की सब तुम्हारी खिलवाड़ का ही परिणाम है" अंत समय में भी देकर शिक्षा वो आंखें मूंद जाता है...और पागल इंसा अपनी जीत का जश्न मनाता है...

पेड़ 🌳 लगाओ जीवन बचाओ...कुदरत पर ना कहर ढाओ...













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