बातें रोज की (भाग -1)

 वहीं 6:00 बजे के आसपास अलार्म की आवाज और ना चाहते हुए भी उठ जाना। रोज की तरह आज का दिन भी 

ठीक वैसा ही था। जल्दी में ऑफिस के लिए निकल गई थी।वही गर्मी में ऑटो में अपने ही ख्यालों में खोई रहने वाली मैं ऑफिस के रास्ते में थी कि अचानक किसी को ऑटो से उतरना था और मेरे सामने बैठा लड़का उसके उतरने के बाद थोड़ा आराम से बैठने लगा तभी उसका पैर अचानक हल्का सा मेरे पैर पर लगा उस परिस्थिति में शायद वो आम ही था लेकिन जैसे ही मैंने देखा उसने बिना सोचे माफी मांगकर झट से मेरा पैर छू लिया शायद ये कहने को तो कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन जैसे उस अनजान लड़के ने अपने संस्कारों की पहचान सी बना दी हो। मैं आज यहीं सोचती रहीं कि जहां लोगों को आज के दौर में हसीं मजाक में महिलाओं को गाली देना आम लगता हैं वहीं आज ऐसे लोग भी हैं जो शायद झुक जाते तो उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंच जाती। 


सच कहां है शायद ये बात कहने में कुछ खास ना ही हो

लेकिन मेरे लिए दिल छू लेने वाली है क्योंकि सम्मान एक ऐसा तोहफा है जो आज भी महिलाओं के लिए हर तोहफे से ऊपर हैं...

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