कैसे कह दूं आजाद है मेरा देश

कैसे कह दूं आजाद है मेरा देश 

पल पल मैंने गुलामी को देखा है 

कभी लड़की होने के हवाले से 

तो कभी दरिंदो के डर को झेला है 

देर रात की मौज मस्ती 

तो मेरा भी दिल लुभा जाती है 

देख अकेले राहों को 

पर मेरी नजरें घबरा जाती है 

चंचल जरा सी हूं मैं 

पर दुनिया से भी डरती हूं 

मेरी छोटी छोटी खुशियों की कीमत 

मेरे मां बाप की इज्जत से जोड़ने से डरती हूं 

वैसे तो बड़ी निडर हूं मैं 

पर अक्सर सहम जाती हूं 

घर तक सुरक्षित नहीं आज बच्चियों के लिए 

इस बात से हड़बड़ा जाती हूं 

आजादी का ये दिन बताओ 

मैं कैसे फिर बतला जाऊं 

बिना कुसूर खूबसूरत जिंदगी लुटा देने वाली 

नन्ही परियों को वापिस कहां से लाऊं...





























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