मेरे सवाल ( एक औरत का सफर)


 मेरे सवाल...?

बात उस वक्त की है जब मुझे पहली बार अकेले बाहरी दुनिया से रूबरू होनेका मौका मिला...अब तक के सफर में मां,पापा या भाई मेरे साथ रहे है, लेकिन आगे का सफर मुझे अकेले ही तय करना था...इस सफर के दौरान मैं घूरती निगाहों को देख बडी सहम जाती थी...और मन में सवाल उठता कि क्या मैं सुरक्षित हूं? जब मैं कॉलेज के लिए बस का सफर तय करती तो लोगो की बहुत सारी असहनीय बातें और छेड़छाड़ मैं चुपचाप सहन कर लेती, जो मुझे अंदर हीअंदर परेशान करती रहती...उस वक्त मेरे ज़हन में हजारों प्रश्न आते कि मैं क्यों चुप हूं...क्योंकि मुझे ड़र है कि लोग मेरे बारें में क्या बातें  करेंगे...अगर मैं अपना हाल-ए-दिल घर पर बताऊं, तो कहीं मेरा पढ़ना बंद हो जाए...कहीं मेरे चरित्र पर सवाल उठने लग जाए...कहीं मैं अपने घरवालों के लिए परेशानी का सबब न बन जाऊं...ऐसे ही ना जाने कितने सवाल मेरे इर्द – गिर्द घूमते थे...फिर भी खुद से एक जवाब मिलता था...क्यों?

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