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चांद और आसमां...

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  एक ही चांद है  एक ही आसमां फिर कैसे कहे अलग है दोनों के जहां तुम बसते हो मेरी बिंदिया में जब मैं संवरती हूं तुम हो मेरे नैनों में जब मैं आंखे बंद करती हूं तुम हो मेरी काजल में जो मुझे हर नजर से बचाती है तुम हो मेरे मन में जो हर पल तुम्हारी याद दिलाती है तुम हो मेरे ईश्वर में जब मैं उनको निहारती हूं तुम हो मेरे एहसास में जिसको मैं अपना मानती हूं तुम हो मुझमें  जब मैं खुदको ही तकती हूं हर नज़र से बचाकर  तुम्हें अपनी दुआओं में रखती हूं।